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7 Jun 2024 · 1 min read

याद आती है हर बात

याद आती है हर बात , तुझसे बिछड़ के।
जैसे वृक्ष टूट जाए कोई, जड़ से उखड़ के।

एक तिनके सा वजूद ,मेरा हो गया अब
फिर भी दिखाऊंगा, मैं हवाओं से लड़ के।

हर किसी के हिस्से में आती है ये बहारें
मेरी किस्मत में ही क्यूं दिन लिखे पतझड़ के।

बहुत कुछ खोया हमने,इस इश्क़ की राह में
बहुत समझाया मगर ,ये दिल‌ रहा उजड़ के।

हर बार मुझे हार का मुंह था देखना ‌पडा
मैंने हर कोशिश के साथ देखा झगड़ के।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
1 Like · 27 Views
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