याद आती है गाँव का बचपन
दिनांक 4/6/19
बचपन के वो दिन
याद आते है
अमराई की छाँह ,
पगडंडी पर दौड़
छूटा जब गाँव
दूर हुए चौपाल
होली की थाप
ईद की सिमयीये
याद आते हैं
गाँव की नदी
झरने का पानी
कागज की नाव
कोयल की कुहू
याद आते है
बरसात की बौछार
माटी की सुगंध
गायों का रंभाना
बैलगाडी की सवारी
खेतों पर दाल बांटी
याद आता है
दुल्हन का घूंघट
बाबा की लाठी
दादी के लड्डूगोपाल
मास्साब की छड़ी
अम्मा का मट्ठा
याद आता है
कोई लौटा दो
बीते दिन
शहर की
चकाचौंध में
मेरे हिन्दुस्तान
का मेरा गाँव
याद आता है
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल