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24 Nov 2016 · 1 min read

याद आकर रोज रातों को मुझे जगाया मत कर,

याद आकर रोज रातों को मुझे जगाया मत कर,
रोतें हैं जाने के बाद तेरे,इतना मुझे हँसाया मत कर ।

तेरे होने से आसमान में उड़ती है उम्मीदें मेरी,
होकर खफा इन्हें जमीन पे गिराया मत कर,
याद आकर रोज रातों को मुझे जगाया मत कर ।

तुझे भनक तक नही है हमारे दर्द की
यूं घाव कुरेतकर फिर मलहम लगाया मत कर,
याद आकर रोज रातों को मुझे जगाया मत कर ।

कपिल जैन

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