याद आकर रोज रातों को मुझे जगाया मत कर,
याद आकर रोज रातों को मुझे जगाया मत कर,
रोतें हैं जाने के बाद तेरे,इतना मुझे हँसाया मत कर ।
तेरे होने से आसमान में उड़ती है उम्मीदें मेरी,
होकर खफा इन्हें जमीन पे गिराया मत कर,
याद आकर रोज रातों को मुझे जगाया मत कर ।
तुझे भनक तक नही है हमारे दर्द की
यूं घाव कुरेतकर फिर मलहम लगाया मत कर,
याद आकर रोज रातों को मुझे जगाया मत कर ।
कपिल जैन