‘ यादों में बसा वो स्वादिष्टम् चूड़ा मटर ‘ ( संस्मरण )
पहली बार ‘ गणतंत्र दिवस ‘ पर संस्मरण लिखने के लिए आमंत्रित किया गया । वाकई आज भी हर गणतंत्र दिवस पर याद करती हूँ वो गरम – गरम चूड़ा मटर , लिखते हुये भी मेरी ज़बान उस स्वाद को याद कर रही हैं। मैं स्कूल कैप्टन थी गणतंत्र दिवस परेड में सबसे आगे झंडे को सलामी मैं ही देती बड़ा गर्व होता खुद पर….गर्दन और तन जाती लेकिन जैसे ही प्रतिस्पर्धायें शुरू होतीं मेरा सारा ध्यान हलवाई पर होता चूड़ा मटर की खुशबू मेरे नाक से होती हुई मेरे पेट को बेचैन कर देती । अंत में साल भर की उपलब्धियों के लिए पुरस्कार मिलते और भला पुरस्कार लेना किसे अच्छा नही लगता , मैं भी पुरस्कार लेकर बहुत खुश होती लेकिन ध्यान फिर वहीं पर की जल्दी क्यों नही मिल रहा चूड़ा मटर । बनारस का चूड़ा मटर अलग सा होता है मिठी मटर थोड़ा गरम मसाला , थोड़ी किशमिश , नीबू और हरी धनिया , लेकिन मेरे हिसाब से मेरे स्कूल में गणतंत्र दिवस वाले दिन जो चूड़ा मटर बनता वैसा तो मैने आज तक नही खाया…सबको एक – एक दोने में चूड़ा मटर मिलता अब आप सब ही बताइये एक दोने से क्या होता है ? मन करता हलवाई को पैसे देकर दो – चार दोने और ले लूँ…. लोगों के हिसाब से मैं बहुत अच्छा खाना पकाती हूँ मगर अफसोस मुझसे भी वैसा स्वादिष्ट चूड़ा मटर ना बन पाया । अगर अतिश्योक्ती ना लगे तो पूरी दुनिया का सबसे स्वादिष्ट चूड़ा मटर मेरे स्कूल के गणतंत्र दिवस का चूड़ा मटर होता था । काश वक्त का पहिया वापस घूम सकता तो मैं इस गणतंत्र दिवस पर स्कूल जा कर अपना पसंदीदा चूड़ा मटर खा आती…अब तो बस यादों में ही बसा है वो स्वादिष्टम् चूड़ा मटर ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 23/01/2021 )