यादों को ले आये
काश कोई जाकर मेरी ,भूली विसरी यादों को ले आये।
काश के साथ चली आये, तो मन मस्ती में खो जाये।
बचपन की यादें किस्से पुराने आ जाये तो बात बने,
पुरानी यादों के बिस्तर पर, बचपन ओढ़ के सो जाये।
काश कोई जाकर मेरी ,भूली विसरी यादों को ले आये।
यादें दिन जैसी थी ,और मैं रूखा सा शाम रहा हूँ।
कोशिश करके हार गया ,पर लाने में नाकाम रहा हूँ।
काश के वक्त मेहरबां हो ,और ख्वाहिश पूरी हो जाये।
काश कोई जाकर मेरी ,भूली विसरी यादों को ले आये।
खो गयीं हैं बचपन की यादें ,जिनको ढूंढ रहा हूँ मैं।
जिंदगी की इस भागदौड़ में ,रह – रह कर टूट रहा हूँ मैं।
काश कोई सुहानी यादों को ,जीवन धागे मे पिरो जाये।
काश कोई जाकर मेरी ,भूली विसरी यादों को ले आये।
-सिद्धार्थ पाण्डेय