यादों के लिए,
यादों के लिए,
मन का संकट यह रहा कि,
जो घटनाएँ विस्मृत करनी चाही
वही स्मृतियों पर क़ाबिज़ होती गई
चिंतन के लिए,
मन की दुविधा यह रही कि,
प्रार्थना में एकाग्र करते हुए ही
वह सबसे अधिक भटकता गया
प्रेम के लिए,
मन को खेद रहा कि,
जहाँ से भी उसकी आस की
वहीँ से वह उपेक्षित किया गया
संवेदना के लिए,
मन का कष्ट रहा कि,
‘अन्तर’के लिए उसका विह्वल होना सरल रहा
किन्तु,
‘अन्तरतम’ के लिए
उसकी भावप्रणवता कठोर होती गई
-निकीपुष्कर