यादों के फूलों की टोकरी
हर रात
सपनों में आते हो
सुबह के चेहरे पर
सूरज की लाल किरणों की
मद्धिम लालिमा पड़ते ही
एक पेड़ की डाल पर बैठी
चिड़िया से
हवा में
फुर्र से उड़ जाते हो
तुम कानों में क्या
कहते हो
ठीक से सुनाई भी नहीं
पड़ता
सुबह आंख खुलने पर
पूरा पूरा याद भी नहीं
रहता
लेकिन खुशी का एक दरिया
आंखों से बह जाता है कि
तुम सपनों में रोज आकर
मुझसे कम से कम
बात तो करते हो
अपने होने का अहसास तो
कराते हो
होठों पर मेरे दिन भर के लिए
ही सही पर
एक मुस्कान की कली तो
खिलाते हो
तुम न मुझे कोई फूल या
चांद की तरह नजर आते हो
अभी भी दिखते हो
जैसे थे
वही के वही
रात को तो सपने में
पूरा अस्तित्व लिए
लेकिन दिन में
अपनी यादों के फूलों की
टोकरी सिर पर उठाये उठाये
मेरे दिल की बगिया की
पगडंडियों पर
चहलकदमी करते
नजर आते हो।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001