यादों के झरोखे
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सहसा याद तुम्हारी आयी,
मन को तेरी प्रीत है भायी।
स्वप्न गगन का धारा मिलन का,
मन में क्षितिज का रूप ले आयी।
श्वेत वर्ण मृदु चरण तुम्हारे,
हम रहते हैं इन्ही सहारे।
खुशियों के आँगन में खो,
गम में कभी नींद न आयी,
सहसा याद तुम्हारी आयी।
यादों के झूलों में झुलूँ,
प्यार के लम्हें कैसे भूलूँ।
साया तेरा रहता हरदम,
देखो सावन ऋतु है आयी,
सहसा याद तुम्हारी आयी।
रूप सुंदरी तू प्यार बांटती,
धरा से तू तम को छाँटती।
रूप अनेकों समय समय पर,
मेरी भी दुनिया बन आयी,
साहस याद तुम्हारी आयी।
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अशोक शर्मा,कुशीनगर, उ.प्र.
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