-यादों की याद
यादें जब तुम्हारी याद आती है,
तो कभी दिमाग का फ्यूजन उड़ा जाती है
कभी सारे तन में सिरहन हो जाती है
अनायास खट्टे-मीठे अनुभव की महक लाती है
तो कभी अच्छे-बुरे के एहसास से लिपटा जाती है
बरबस कभी आंखों से बारिश लाती है
कभी कटु बातों की यादें कांटे सी चुभ जाती है
उर में सोई पीड़ा को फिर से जगाती हैं
कभी मधुर स्मृति की यादें ताजा हो जाती है
मक्खन बन दिल को पिघला जाती है
यादें उर के कोनों को चिकना कर जाती है
दिल की राह पर फिर से रिपटन हो जाती है
यादें जब तुम आओ, बता कर नहीं आती है
सलिल बन चुपचाप क्यों बह नहीं जाती हैं
यादें जब तुम्हारी याद आती है
क्यों जीवन में हलचल मच जाती है।।
– सीमा गुप्ता, अलवर