यादों की महफिल सजी, दर्द हुए गुलजार ।
यादों की महफिल सजी, दर्द हुए गुलजार ।
अश्कों से लबरेज था, आँखों का संसार ।
उल्फत का वो ख्वाब थे, ख्वाबों का थे नूर –
गुल फरेब देते रहे, दामन में थे खार ।
सुशील सरना / 29 – 1-24
यादों की महफिल सजी, दर्द हुए गुलजार ।
अश्कों से लबरेज था, आँखों का संसार ।
उल्फत का वो ख्वाब थे, ख्वाबों का थे नूर –
गुल फरेब देते रहे, दामन में थे खार ।
सुशील सरना / 29 – 1-24