यादों की बदली
यादों की बदली (सजल)
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यादों की बदली आती है,
दिल को रहती तड़फाती है।
मौसम तो आते – जाते हैं,
पर मानव – मन बाराती है।
ऑंखों से सपने ओझल हों,
अश्रु की बारिश बरसाती है।
चलती सांसें भी रुक जाती,
मुख से घूंघट सरकाती है।
अंदर – अंदर घुटती रहती,
कुछ कहने से शरमाती है।
रुकता कब जाने वाला,
मन ही मन में पछताती है।
मनसीरत यादें कब मरती,
जीवन लीला मिट जाती है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)