यादों की परछाइयां
ये अशआर-ये नज़्में-ये ग़ज़लें-ये रूबाइयां!
और कुछ नहीं उनकी यादों की परछाइयां!!
हैं जिनके बिना अब खाली-खाली महफिलें
थीं जिनके साथ कभी भरी-भरी तनहाइयां!!
ये अशआर-ये नज़्में-ये ग़ज़लें-ये रूबाइयां!
और कुछ नहीं उनकी यादों की परछाइयां!!
हैं जिनके बिना अब खाली-खाली महफिलें
थीं जिनके साथ कभी भरी-भरी तनहाइयां!!