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2 Dec 2017 · 1 min read

यादों की तस्वीर

आज रश्मि के घर उसके कॉलेज की सहेलियों का जमावड़ा था। हर 15-20 दिनों में किसी एक सहेली के घर समय बिताना इस समूह का नियम था। आज रश्मि की माँ, सुमित्रा से 15 साल बड़ी मौसी भी घर में थीं।

रश्मि – “देख कृतिका…तू ब्लैक-ब्लैक बताती रहती है मेरे बाल…धूप में पता चलता है। ये ब्राउन सा शेड नहीं आ रहा बालों में? इनका रंग नेचुरल ब्राउन है।”

कृतिका – ” नहीं जी! इतना तो धूप में सभी के बालों का रंग लगता है।”

सुमित्रा बोली – “शायद दीदी से आया हो। इनके तो बिना धूप में देखे अंग्रेज़ों जैसे भूरे बाल थे। रंग भी एकदम दूध सा! आजकल वो कौनसी हीरोइन आती है…लंदन वाली? वैसी! ”

जगह-जगह गंजेपन को छुपाते मौसी के सफ़ेद बाल और चेचक के निशानों से भरा धुंधला चेहरा माँ की बतायी तस्वीर से बहुत दूर थे। रश्मि का अपनी माँ और मौसी से इतना प्यार था कि वो रुकी नहीं… “क्या मम्मी आपकी दीदी हैं तो कुछ भी?” रश्मि की हँसी में उसकी सहेलियों की दबी हँसी मिल गयी।

झेंप मिटाने को अपनी उम्रदराज़ बहन की आँखों में देख मुस्कुराती सुमित्रा जानती थी कि उसकी कही तस्वीर एकदम सही थी पर सिर्फ उसकी यादों में थी।

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#ज़हन

Language: Hindi
439 Views
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