यादों की कसक
कैसी है यह मोह माया ?
जिसकी मैं भी अब आदि हूँ,
हाँ , मैं भी अब शोहरत ख़ातिर जख्मों पर नमक लगाती हूँ।
बातों को भूल जाना आता नहीं मुझे,
यादाश का इतना तेज होना भी अब भाता नहीं मुझे।
यादें जो हैं मेरी,
मगर याद किसी और की दिलवा रही है,
डर किसी का नहीं मुझे,
मगर ना जाने क्यों ये मुझे डरा रही है,
खौफजदा करती है ये मुझे,
और यही मेरी हिम्मत बढ़ा रही है,
मेरी सोच को, एक नए सिरे में ढलवा रही है।
ना जाने क्यों है लगता मुझे,
यह मुझे अंदर ही अंदर खा रही है।।२
यह यादें भला हैं क्या?
जो हर वक़्त मुझे सता रही है,
हर वक़्त मुझे उस एक शख्स की याद दिलवा रही है।
एक उसकी यादें ही तो हैं ,
जो हैं हमारे पास
वह भी अब धुंधली होती जा रही है
उसके दिए तोहफों को धीरे-धीरे दीमक खा रही है।
फूल सुखकर धूल हो गए,
ख्वाब उम्र के संग सब छूर हो गए
कहता है कौन ??
लड़कियों को इंतज़ार करना नहीं आता,
उसकी बदोलत यारा हम खुद से भी दूर हो गए।।२
❤️ सखी