यादों का मेला लगता है रोज सपनो में, पर जब जब भवर होते ही आंख
यादों का मेला लगता है रोज सपनो में, पर जब जब भवर होते ही आंखे खुली तो मैंने खुद को हर बार एकेला पाया।
यादों का मेला लगता है रोज सपनो में, पर जब जब भवर होते ही आंखे खुली तो मैंने खुद को हर बार एकेला पाया।