यादों का गाँव नवापुरा
आज सुबह से ही मन बहुत बेचैन था मन में मच रही उथल-पुथल के कारण हृदय उद्वेग से भरा हुआ था मन में भविष्य को लेकर कभी आशावित्त और देखा जाए ऐसा होना लाजिम भी था आखिरकार वह दिन भी आ गया जब मुझे अपने प्राण प्रिय के साथ अपने अजीज गांव नवापुरा की सुनहरी यादों के साथ साथ घर परिवार माता पिता भाई बहनों दर्दमंयो व सगे संबंधियों को छोड़कर मुझे सदा सदा के लिए एकांत जगह जाने का मन हुआ और समाज कार्य करने का मन हुआ अपना लक्ष्य को लेकर हासिल करने के लिए अपनों से थोड़ा दूर जाने का सोचा और बड़े मनसे अपनों को विदा करने का मन हुआ थोड़ा कठिन था
पर क्या करें जैसे तैसे करके अपनों से दूर रहने का मन बना लिया मैं मन को मारता हुआ चल पड़ा और इस मोह माया से इतना दूर जाने का सोचा कि सदा सदा के लिए नही मिलु और सोचता हुआ कि नवाबों और ख्वाबों के गांव से हमसाज होने का सुख प्राप्त होगा था नहीं भविष्य के गर्भ में छिपा एक रहस्य है जिसे कोई भी समझ नहीं सकता है अपने गांव से दूर होने के भय के कारण में हर वस्तु पर हर याद को अपनी आंखों से समेट कर दिल में बसा लेना चाहता था।
बस में बैठते ही अपनों से दूरी का एहसास दिल को कचोटने लगा बस ज्यो ही धीरे-धीरे चलने लगी तो मन लोहार गर्म धौकनी की भांति जोर जोर से हाँफने लगा बेकाबू रहे मन को वश में करने के लिए मैंने नेत्रों को कसकर बंद कर लिया पलकों के बंद होते ही अतीत में यार दोस्तों की भूल भुलिया से लेकर गांव की वह गलियां व दुकाने व सड़कों पर बिताए गए हसीन लम्हे चलचित्र की भांति आंखों के सामने नृत्य करने लगे व एक छोटा सा गांव नवापुरा बागोड़ा बीस किलोमीटर दूर बसता है
नवापुरा गांव की ठंडी ठंडी हवा मुझे बाहर बार बार वापस खींचने की कोशिश कर रही थी पर मैं अपने मन को बनाता हुआ आगे बढ़ने लगा धीरे धीरे अपने मन से कहा कि वह यादें और दोस्तों का किस साथ बिताए हुए पलों को धीरे धीरे भूलना शुरू किया पर एक नई उम्मीदों की ओर आगे बढ़ने लगा मैंने अपने बैग से एक छोटी सी पुस्तक निकाली अपनी यादें उसको निकाल कर मैं पढ़ना शुरू कर दिया यह गांव अपनी लपा नजाकत तहजीब वाली बहु समृद्धशाली सास्कृतियों। खूबियों के साथ अनार के साथ साथ वह गांव वाला प्यार मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा।
कुछ पंक्तियां कविता की प्रस्तुति करता हूँ आपने गाव की-
गांव में है यह गांव निराला
तहजीब की सबसे आला
अनार की खेती से शोभा गांव की
शहरों से यह गांव निराला
लिखने में बातें नवापुरा की
कलम हो गई खाली
एक बेगम ने छुड़ाए छक्के
फिरंगियों के अभियान के
नवापुरा को दर्शाने की
कोशिश की शंकर आंजणा ने
बस रुकी तो मुझे तेजी से धक्का लगने के कारण मेरी तंद्रा टूटी तो मैंने अतीत की लहरों में हकीकत के साहिल पर आ गया आंखों से आशु को उंगलियों की पोर से पोछ कर सूखा किया और उठाया बैग उदास मन से प्राण प्रिय के साथ सपनों की खोज में आगे बढ़ने लगा और बस स्टैंड से बाहर आया।
मिस यू पापा, मिस यू ममी
मिस यू दोस्तों
यदि रहा तो तो फिर जरूर मिलूंगा
शंकर आँजणा नवापुरा
बागोड़ा जालौर-343032