यादे रुलाती है
यादें रूलाती है (गजल)
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*** 2222 1222 ***
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यादें तेरी रुलाती हैं,
जीवनभर ये सताती है।
तेरे बिन कुछ नही भाता,
तेरी कीमत बताती है।
वो लम्हें गूढ़ समाये हैं,
गाने गमगीन सुनाती है।
आ जाओ मीत ओ मेरे,
रहती दर पर बुलाती है।
लोरी प्यारी सुहानी सी,
गहरी नींदे सुलाती है।
सोने देती नहीं आहें,
आधी रातें जगाती हैं।
मनसीरत मन मुरीदों के,
स्नेहिल झूले झुलाती है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत