यादें
तुम तो इस तरह से गई हो कि
लौट के फिर कहाॅं अब आ पाओगी
कभी सपनों में भी मैं नहीं सोचा था
एक दिन ऐसे ही तुम चली जाओगी
ऐसी कौन सी खता हो गई थी कि
तुम हमसे इतनी भी रुठ गई
हमें अपनी यादों के सहारे छोड़
तुम इस दुनिया से ही उठ गई
तेरे जाने से तो घर के हर कोने में
सिर्फ अंधकार ही अंधकार छाया है
बिन बुलाए यह दुःख असमय ही
जबरदस्ती मेरे घर में घुस आया है
तुम्हारे जाने की इस जिद्द ने तो
हम सभी को कहीं का न छोड़ा
हमारे दिल को तुमने जी भर
टुकड़े टुकड़े में ही पूरा तोड़ा
मेरे घर की वेशकीमती गहना थी
जिसे तुम चुपचाप चुरा कर ले गई
और जिंदगी के इस बीच रास्ते में ही
हम सबको निर्दयी बन दगा दे गई
एकदम अचानक ऐसा करने में तुम्हें
मुझ पर तनिक दया भी न आई
अपने जाने की जल्दी में तुम तो
हमारी खातिर केवल विपदा ही लाई