यादें
कुछ धुँधली-सी चित्र देखकर,
खो कही – से जाते हैं लोग,
कुछ तो हैं खास इसमें,
यादें जिसे कहते है लोग ।
ये ला देती है होंठों पर,
कभी तो मुस्कुराहटों के समंदर,
कभी-कभी कर देती है ये,
मन में आंसूओं की बरसाते ।
इंसान चाहता है जीना इसे,
पर यादें तो यादें ही होती,
इसकी फितरत ही है ऐसी,
दुःख में ये जुल्म हैं ढाती।
हमारे मन मस्तिष्क पटल पर,
ऐसा छाया पड़ा है इनका,
ये लगते मिठाई और मक्खी जैसे,
साथ- साथ का ही हैं संबंध इनका।
होती छवि करवी इनकी,
पर सार होता सरस जरुर है,
कितनी बार हैरान कर देते है ये,
पर रोमांचक इनका सफर जरूर हैं।
✍️✍️✍️✍️✍️खुशबू खातून