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22 Jan 2021 · 1 min read

यादें

* यादें *

(मापनी-1222 1222 1222 1222 ,समान्त -आने, पदान्त-याद आते हैं )

किधर जाने गये वो दिन पुराने याद आते हैं।
किये कितने कहाँ कैसे बहाने याद आते हैं ।।

जमीं है धूल सी पर याद अब भी है मधुर मन में ।
डपटने, डाँट खाने के जमाने याद आते हैं ।।

हरी इमली कभी जो तोड़ कर लाते भरी झोली ।
लगाते फेंक कर पत्थर निशाने याद आते हैं ।।

खिलाती बाजरे,मक्का व मिस्सी रोटियाँ मोटी ।
मुझे माँ के पुए मीठे बनाने याद आते हैं ।।

कभी काँधे चढ़ा मेला दिखाया था पिताजी ने ।
उन्हीं की छाँव के वे दिन सुहाने याद आते हैं ।।

पड़ीं बिखरी मधुर यादें चसकती हैं बड़ी दिल में ।
बता जिनको नहीं सकते फ़साने याद आते हैं ।।

कभी यारी कभी थी दुश्मनी पर दिल न मैले थे ।
सभी मिल यार गाते थे तराने याद आते हैं ।।

महेश जैन ‘ज्योति’, मथुरा ।

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