Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Aug 2019 · 1 min read

यादें

तनहाई में तन्हा होता हूँ तो
अंगड़ाई और फिर लम्बी
जम्भाई के साथ अक्सर
वो याद आ जाती है
दिलो दिमाग पर.छा जाती है
जकड़ लेती है अपने आगोश मे
यकायक बन्द हो जाती हैं आँखे
पूर्णतः खो जाता हूँ अतीत में
चाँद चकोर सा सुन्दर मुख
देखते ही मन प्रफुल्लित हो जाता
हिरणी सी मतवाली चाल
मृगनयनी नशीले नयन
गठीला गदराया मखमली बदन
महसूस करता हूँ उनका साथ
हाथों में लिया हुआ उनका हाथ
वो मंद मंद मीठी मुस्कान
प्रथम स्पर्श कंपन सिरहन
काली घटाओं सी सघनी
गेसुओं की घनी छाँव
झुकी आँखों की हया शर्म
कुल की पगड़ी बचाने का धर्म
पल भर में बिछुड़ने का डर
कठिन डगर पर गिरने का डर
पीछे न मुड़ पाने का मलाल
मान मर्यादा का ख्याल
आँसुओं से भीगा आँचल
परस्पर बाहों में आलिंगन
नम आंखों से दी विदाई
उम्र भर की मिली जुदाई
बीती यादों का झरोखा
झकझोरता है आज भी
व्यथित दुखी करता है मन

…सुखविद्र सिंह मनसीरत

Language: Hindi
2 Likes · 552 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

तेरा यूं सताना अच्छा लगता है,
तेरा यूं सताना अच्छा लगता है,
Jyoti Roshni
शीर्षक -मातृभाषा हिंदी
शीर्षक -मातृभाषा हिंदी
Sushma Singh
हे पवन कुमार
हे पवन कुमार
Uttirna Dhar
You have to be ready for the unfavourables. You have to acce
You have to be ready for the unfavourables. You have to acce
पूर्वार्थ
हाथों ने पैरों से पूछा
हाथों ने पैरों से पूछा
Shubham Pandey (S P)
*डॉ अर्चना गुप्ता जी* , मुरादाबाद(कुंडलिया)*
*डॉ अर्चना गुप्ता जी* , मुरादाबाद(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Prayer to Absolute
Prayer to Absolute
Sanjay Narayan
पढ़ें चुटकुले मंचों पर नित
पढ़ें चुटकुले मंचों पर नित
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
मृगतृष्णा
मृगतृष्णा
मनोज कर्ण
तुम गए जैसे, वैसे कोई जाता नहीं
तुम गए जैसे, वैसे कोई जाता नहीं
Manisha Manjari
"एजेंट" को "अभिकर्ता" इसलिए, कहा जाने लगा है, क्योंकि "दलाल"
*प्रणय*
4254.💐 *पूर्णिका* 💐
4254.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"परखना "
Yogendra Chaturwedi
डर - कहानी
डर - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
एक बार होता है
एक बार होता है
Pankaj Bindas
एक   राखी   स्वयं के  लिए
एक राखी स्वयं के लिए
Sonam Puneet Dubey
लग जाए गले से गले
लग जाए गले से गले
Ankita Patel
तुम यह अच्छी तरह जानते हो
तुम यह अच्छी तरह जानते हो
gurudeenverma198
जै हनुमान
जै हनुमान
Seema Garg
"सरकस"
Dr. Kishan tandon kranti
नम आंखों से ओझल होते देखी किरण सुबह की
नम आंखों से ओझल होते देखी किरण सुबह की
Abhinesh Sharma
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
औरते और शोहरते किसी के भी मन मस्तिष्क को लक्ष्य से भटका सकती
औरते और शोहरते किसी के भी मन मस्तिष्क को लक्ष्य से भटका सकती
Rj Anand Prajapati
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
पैगाम
पैगाम
Shashi kala vyas
कुछ जो बाकी है
कुछ जो बाकी है
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
मैं भूत हूँ, भविष्य हूँ,
मैं भूत हूँ, भविष्य हूँ,
Harminder Kaur
समुद्रर से गेहरी लहरे मन में उटी हैं साहब
समुद्रर से गेहरी लहरे मन में उटी हैं साहब
Sampada
मुक्तक
मुक्तक
sushil sarna
बंदर का खेल!
बंदर का खेल!
कविता झा ‘गीत’
Loading...