यादें
नहीं है यादों का कुछ ठिकाना
कभी भी आना कभी भी जाना
हरेक पल को सँजो के रखतीं
है इनका कितना बड़ा खजाना
न बात कोई किसी से कहतीं
बसी हमारे दिलों में रहतीं
यही हमारी हैं मीत सच्ची
बखूबी आता इन्हें निभाना
नहीं है यादों का कुछ ठिकाना
गवाह हैं एक- एक पल की
यही कहानी कहेंगी कल की
न छोड़ती ये हमें कभी भी
नहीं सरल है इन्हें भुलाना
नहीं है यादों का कुछ ठिकाना
सजाती तनहाइयाँ हमारी
कभी उड़ा लेतीं नींद सारी
समझ न आया हमें ये इनका
कभी मनाना कभी सताना
न यादों का कुछ पता ठिकाना
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद(उ प्र)