यादें..!
उनके जाने के बाद भी, उसके वफ़ा पे इतराते रहें।
मिलें यादों के हर ज़ख्म, हम सीने में सुलगाते रहें।।
हर सिसकियाँ दबा ली, भींच कर के होंठो को यूँ।
हर दर्द को सह कर भी, महफ़िल में मुस्कराते रहें।।
जब वो थे तो क़द्र न थी, ज़ेहन में उनके प्यार की।
आज मोहब्बत के खातिर, हर दर गिड़गिड़ाते रहें।।
कर सका न मैं भरोसा, जो उस हसीं दिलदार की।
बेक़दरो के भरोसे अबतक, खुद को भरमाते रहें।।
देख मैं रोऊँ भी तो कह, किसके कंधे जा सर रखूं।
भँवर में उलझे कँवल सा, लहरों के थपेड़े खाते रहें।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २५/१०/२०१८)