यादें
हंसती हुई आँखों ने देखे थे कभीं सपने प्यार के ।
महकी सी अदाओं ने सजाये थे कुछ लम्हे याद के ।
तरन्नुम में गाये थे कभी गीत प्यार के।
बिखर गयी जाने क्यों सौगात प्यार की। बिखरे अरमानों ने सजाये थे गुलिस्तां अजाब के ।
कहकशां है या गर्दिश के वो नज़ारे।
आते है आज भी क्यों याद वो अपने सारे ।