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10 Sep 2020 · 1 min read

यादें जीवन की

याद आते हैं
बचपन के वो दृश्य
ठंड के दिन में
चूल्हे के पास बैठ कर
हाथ सेंकते हुए
माँ के हाथ की
गरमागरम रोटी खाना

याद आता है
वो दृश्य
पिताजी के साथ
साईकिल पर
आगे डंडे पर
बैठ कर रेल देखने
स्टेशन जाना

याद है
आज भी वो दृश्य
स्कूल में शनिवार को
बाल सभा में
गाया ये गाना
“नन्हा मुन्ना राही हूँ
देश का सिपाही हूँ ।”

याद है
वो रक्षाबंधन का दृश्य
पहले राखी पसंद करते थे
फिर बहन से बंधवाते थे

याद है वो दृश्य
दोस्तों के साथ
स्कूल से गोल मार कर
पिक्चर देखना
होटल जाना
मौज मस्ती करना
फिर घर पर
पिताजी के डंडे खाना

याद है वो दृश्य
गणपति स्थापना
दुर्गा जी स्थापना
होली दिवाली ईद
क्रिसमस पर साथ साथ
त्यौहार मनाना

दृश्य तो जुडे
रहते हैं यादो से
कभी खट्टे
कभी मीठे
कभी फीके
कभी अदृश्य
कभी अंतर्मन से जुड़े

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
1 Like · 3 Comments · 336 Views
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