यादें कुछ बातें
इधर उधर खोज रहा था,
उनके चरणों की रज।
लगता ऐसा कल की बात हो,
ढल गए कितने ही सूरज ।।
ये पेड़ ये शिला अब भी खड़े है,
कुछ नही बदला सब जिद पर अड़े है,
वही कुंड वही पानी और मीन,
बचपन से हुआ अब मैं हीन ,
जामुन के पेड़ ऊँचे ऊँचे हो गये,
चारों तरफ हरियाली मन ललचाये,
यह आश्रम बड़ा ही प्यारा,
साधु संतों का वास न्यारा,
कोई न कभी भूखे पेट रहें,
यही महिमा सब कोई कहे,
ज्ञान ध्यान की होती बातें,
सुनहरी बनती मुलाकाते,
तेंदू सीताफल की भरमार,
खाकर खुशी मिले अपार,
हर बरस आता हूँ यहाँ,
करता गुणगान रहूँ जहाँ,
आकर यहाँ भूलते गम सारा,
सभी कहते इसको पनिहारा,
।।जेपीएल।।