“यादें और मैं”
“यादें और मैं”
बड़े इम्तिहान से ,
पीछे मुड़ के देखा मेने ,
कुछ हंसीं यादे मुस्करा रही थी l
क्यों ?प्यार से मेने पूछा ,
जवाब मिला ,
कल चले जाओगे तुम ,
सोच यह , दिल जला रही थी l
दिल क्यों जलाना ,
आगे बढ़ते है जाना ,
थोड़ा मुस्कराई यादें और बोली ,
बस यही सोच के दिल बहला रही थी l
दोनों चुप थे ,
खामोश था जहाँ ,
कुछ कहने को बाकी रहा, कहाँ
सच तो यह था ,
बिछड़ना है अब ,
बस यही वो मुझे समझा रही थी l
नीरज कुमार सोनी
“जय श्री महाकाल”