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20 Jun 2020 · 1 min read

“यादें”#पिता का साथ

पिता का साथ सदैव ही मन में रहे याद
प्रथम पथ-प्रदर्शक बन जीवन करें आबाद

सिखाया संबल रखना बढ़ाया मनोबल हर कदम
ताकि हर प्रत्येक परिस्थिति का कर सकें सामना
अपने दम

उनके किरदार और दिये हुए संस्कारों का कर सम्मान
करते हुए आदर्शों का पालन रखकर सबका मान

लोहपुरुष के रूप में सदा मुस्कुराते हुए दिखाई अपनी तस्वीर
स्वयं की तकलीफों को छिपाते हुए फिक्र भी उतनी ही जताई गंभीर

आप ही ने दिये मार्गदर्शन पर निभा रही हूं दोनों कुल की
भूमिका
आज मन में संजोई यादों को ताज़ा कर दिल से रो रही है आपकी कणिका

आरती अयाचित
स्वरचित एवं मौलिक
भोपाल

Language: Hindi
4 Likes · 4 Comments · 584 Views
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