यात्रा परिवर्तन की…
पीड़ा परखती
कौन अपना कौन पराया
वेदना से उल्लास
अधैर्य से धैर्य
चातुर्य से माधुर्य
निज-भाव से उदार-भाव की
अदला-बदली
रिश्तों में पहल है
परिवर्तन की।
केवल यात्रा नहीं
जीवन के
राग-अनुराग
है अनुभूति
अनुभव के बादल
बरसकर बताते रहे
शैशव से वृद्धावस्था तक
हुए परिवर्तन।
है अहसास
वे शब्द
जो मौन ही घुट गए
मगर
छलकी जब संवेदनाएँ
अक्षर-कलश से
बूँद-बूँद
बनते गए शब्द और
कविता का मधु निर्झर
कोमल नाद संग
झरने लगा
शब्दों से अहसास
के परिवर्तन की
है ये यात्रा अनंत….
अविरल नित्य धारा-प्रवाह……
संतोष सोनी “तोषी”
जोधपुर ( राज.)