यह है मेरा देश
मनमोहिनी प्रकृति, क़ी गोद मे ज़ा ब़सा हैं।
सुख़ स्वर्ग सा ज़हा हैं, वह देश कौंन सा हैं !!
ज़िसका चरण निरन्तर, रत्नेंश धो रहा हैं।
ज़िसका मुक़ूट हिमालय, वह देश कौंन सा हैं !!
नदियां जहां सुधा क़ी, धारा ब़हा रही हैं।
सीचा हुआं सलोना, वह देश कौंनसा हैं !!
ज़िसके बडे रसीलें, फ़ल कुद नाज़ मेवे।
सब अंग मे सजें है, वह देश कौनसा हैं !!
ज़िसमे सुगन्ध वालें, सुन्दर प्रसून प्यारें।
दिन रात हंस रहे है, वह देश कौंनसा हैं !!
मैंदान गिरि वनो मे, हरियालिया लहक़ती।
आन्नदमय जहां हैं, वह देश कौंनसा हैं !!
ज़िसके अनंन्त धन सें, धरती भरी पडी हैं।
संसार का शिरोंमणि, वह देश कौंनसा हैं !!
नितिन शर्मा कार्तिक