*यह हुनर देना (भक्ति गीतिका)*
यह हुनर देना (भक्ति गीतिका)
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(1)
मेरे ईश्वर तुझे कैसे रिझाऊँ यह हुनर देना
चला आए तू जब भी मैं बुलाऊँ यह हुनर देना
(2)
मैं जब तुझसे मिलूँ तो अपनी सब सुधबुध भुला बैठूॅं
तुझे अपना मैं पल-भर में बनाऊँ यह हुनर देना
(3)
पिलाता तू मुझे मदिरा जो पैसों से नहीं मिलती
मैं अनहद-नाद चखकर रोज आऊँ यह हुनर देना
(4)
न मैं ज्ञानी न मेरे पास धन-दौलत मेरे मालिक
मगर तुझको मैं फिर भी गुनगुनाऊँ यह हुनर देना
(5)
मिली अनमोल यह काया तुझे ही सिर्फ पाने को
मैं आँखें बंद कर तुझमें समाऊँ यह हुनर देना
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451