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21 Jan 2022 · 1 min read

यह हँसी-भंडार था (हास्य गीत)

यह हँसी-भंडार था (हास्य गीत)
■■■■■■■■■■■■■■■■
देखिए ! शादी नहीं थी ,यह हँसी-भंडार था
(1)
बारात में सजधज के जाने को बराती आ गए
देखी न बग्घी-बैंड-बाजा देखकर गुस्सा गए
रिक्शा से जाने के लिए दूल्हा नहीं तैयार था
देखिए ! शादी नहीं थी ,यह हँसी-भंडार था
(2)
शेरवानी और पगड़ी ब्याह में आई नहीं
शर्ट में दूल्हे की कुछ पहचान हो पाई नहीं
स्टेज पर गलती से दूल्हा खा रहा फटकार था
देखिए ! शादी नहीं थी ,यह हँसी-भंडार था
(3)
एक सौ ग्यारह रुपै की जूतियाँ पहने गए
जूते-चुराई के रुपै इतने ही फिर कहने गए
सालियों के सामने कंजूस यह परिवार था
देखिए ! शादी नहीं थी ,यह हँसी-भंडार था
(4)
भोले-भाले थे अतिथि लेकर लिफाफा आ गए
बाद में देखा कि खाली दे लिफाफा खा गए
आयोजकों का इस तरह, होना ही बंटाढ़ार था
देखिए ! शादी नहीं थी ,यह हँसी-भंडार था
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता: रवि प्रकाश, बजार सर्राफा
रामपुर (उ.प्र.).9997615451

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