यह शर्म ए हया, इश्क ,मोहब्बत कुछ तो है
जहां देखने पर कुछ नहीं है. ,
……………वहां कुछ तो है |
यह शर्म ए हया, इश्क ,मोहब्बत
…………….यह कुछ तो है |
अनंत नूर हो भले उसके चेहरे पर
………यह सादगी कुछ तो है |
इश्क मुकम्मल हो ,ना हो सजदा करने की
……………..जिद कुछ तो है |
इतनी ठोकर पर भी मुकम्मल है सरल
……………. यह कुछ तो है |
कवि दीपक सरल