यह राह अकेली है
इस राह पर
भीड़भाड़ है पर
यह अकेली है
कोई इसके वास्ते
एक पल के लिए भी
रुकता नहीं
अपना कोई काम छोड़ता नहीं
इसका हालचाल पूछता नहीं
इसको अपनाता नहीं
कभी घर अपने बुलाता नहीं
बस मतलब साधकर
सब चलते बनते हैं
अपनी अपनी राह
अपने पैरों तले सब
रौंदते हैं इसे
कोई इसे अपने हाथों में
उठाकर
गले से तो लगाता नहीं
न इसके आंसू कोई पोंछता
न ही यह कभी मुस्कुराये
यह प्रयत्न ही कोई करता
इसके चरित्र पर कीचड़
अवश्य ही सब उछालते हैं
धूल के परतों से इसे पाट
देते हैं
कोई सफाई अभियान चलाकर
इसे साफ करने का भी
यह लोग कभी
समय निकालते नहीं
इस राह का कोई महत्व नहीं है
यह सब राहगीरों को उनकी
मंजिल तक पहुंचाने में उनकी
मदद करती है
यह न हो तो कोई
एक कदम भी
अपने जीवन में आगे बढ़ न
पाये लेकिन
यह है धरती मां
एक ईश्वर का ही
दूसरा और अनोखा रूप
कोई इसे मान्यता दे या ना दे
यह तो सबका कल्याण करती है
सबके पैर छूकर
उन्हें उनकी मंजिल तक
सही सलामत
पहुंचने का आशीष देती है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001