यह मेरी इच्छा है
यह मेरी इच्छा है,
कि सबका मुझको प्यार मिले,
मेरे चमन में भी बहार चले,
और मुझको ऐसा संसार मिले,
कि दुश्मन भी हंसकर मुझसे मिले।
यह मेरी इच्छा है,
कि यह शहर यह गलियां मुझको याद करें,
जिस राह से मैं निकलूँ ,
परिन्दें फूलों की वर्षा मुझ पर करें,
नभ के सितारें मेरा स्वागत करें,
ये दरख़्त-नदियां ये झरनें,
मेरे साथ साथ खुशी से झूमे।
यह मेरी इच्छा है,
कि किताबों में नाम मेरा भी हो,
हर जुबान पर किस्सा मेरा भी हो,
हर दिल पर राज मेरा भी हो,
एक प्यारा सा संगीत मेरा भी हो,
मधुर एक तराना जहां में मेरा भी हो।
यह मेरी इच्छा है,
कि झुके उनके सिर मेरे सामने,
बदनाम जिन्होंने मुझको किया है,
जिन्होंने बनाया है मेरा मजाक महफ़िल में,
जिन्होंने रोककर मेरी किश्ती मुझको तोड़ा है,
अफसोस हो उनको उनके किये पर,
और सलाम वो मुझको करें।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)