“यह महसूस करना आसान नहीं होता”, ग्वालियर, मध्यप्रदेश की युवा साहित्यकार प्रियंका प्रजापति का लेख
यह महसूस करना आसान नहीं होता
अपनी एक कविता की चंद पँक्तियों से शुरुआत करती हूँ-
हर किसी के लिये ज़िन्दगी जीना आसान नहीं होता |
अमरत्व के लिये स्वयं विष पीना आसान नहीं होता ||
सबका अपने बच्चों को पालना आसान नहीं होता |
बड़े होने तक उन्हें सँभालना आसान नहीं होता ||
ये सभी कुछ लिखना तो बड़ा ही आसान होता है पर,
इन सब बातों को महसूस करना आसान नहीं होता ||
एक अन्य कविता है-
पर तकलीफों के बाद भी वे बहुत खुश रहते हैं |
क्योंकि उनके प्यारे बच्चे उनके पास रहते हैं ||
लेकिन……….
न जाने कितने माँ बाप की ज़िन्दगी सड़क के किनारे या डिवाइडरों पर तरसती निगाहें और भूखा पेट लिये गुज़र जाती है | काश उनके बच्चों को कोई समझा दे कि ज़िन्दगी वो नहीं जो तुम जी रहे हो, पार्टियाँ और उत्सव मना रहे हो, बल्कि ज़िन्दगी तो वो है जो तुम्हारे लिये, सिर्फ तुम्हारे लिये फुटपाथ पर रो रही है, हर घड़ी दुआ दे रही है सिर्फ तुम्हारे लिये, कि किसी दिन अपनी चार पहिया मोटरगाड़ी से निकलते वक्त एक बार उनकी तरफ देख भर लो |
कभी उनके हाथ तुम्हारी भूख शान्त करने के लिये उठे थे, आज वे ही हाथ किसी और के सामने उनकी दो निवाले पाने की लाचारी बनकर भीख माँगने के लिये उठ रहे हैं | आज मैने उन हाथों को किसी बच्चे के सामने फैलते देखा तो विचार आया कि शायद उस बच्चे के चेहरे में उन्हें अपने बच्चे का चेहरा नज़र आया हो |
काश ज़िन्दगी को जीना आसान हो जाता हर एक माँ-बाप के लिये |
अपने घाव भी सीना आसान हो जाता हर एक माँ बाप के लिये ||
हाँ तकलीफों के बाद भी वे बहुत खुश रहते हैं |
जिनके प्यारे बच्चे सदा उनके पास रहते हैं ||
-प्रियंका प्रजापति
ग्वालियर, मध्यप्रदेश
(26 राज्यों से प्रकाशित साहित्यायन दिव्यतूलिका, अप्रैल वर्ष 2018 की पुस्तक में प्रकाशित लेख)