*यह भगत सिंह का साहस था, बहरे कानों को सुनवाया (राधेश्यामी छ
यह भगत सिंह का साहस था, बहरे कानों को सुनवाया (राधेश्यामी छंद )
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यह भगत सिंह का साहस था, बहरे कानों को सुनवाया
केंद्रीय कक्ष में संसद की, बम फेंक नहीं जो घबराया
वह अमर क्रांति का नायक था, भारत जिससे आजाद हुआ
यों इंकलाब का वीर-मंत्र, जिससे घर-घर को याद हुआ
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451