यह परिवर्तन है
कल था बसंत खिला,
आज पतझड़ मिला,
सुख दुःख आना जाना,
यूँ ही बस चलते रहना,
यह परिवर्तन है,
जीवन का दर्पण है,
कौन यहाँ अमिट है,
खड़ा अडिग है,
बड़ी बड़ी खड़ी मीनारे,
पड़ती है उनमें दरारें,
समय का पहिया घूमे,
नभ से गिरा धरा चूमे,
पल पल की खुशी,
जो है तेरी हँसी,
छोड़ न ऐसे तू क्षण,
तन कब हो जाए कण,
समय बीता जाए,
अपने छूटते जाए ,
यही जग की वेदना है,
यही जग की वेदना है,