Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Nov 2021 · 1 min read

यह देखो यह प्यारी हटरी ( बाल कविता )

हटरी (बाल कविता)
■■■■■■■■■■■
यह देखो यह प्यारी हटरी
रंग-बिरंगी न्यारी हटरी

मिट्टी से है इसे बनाया
नाजुक इसका रूप कहाया

इस पर एक दीप है जलता
उजियारा हटरी में पलता

हटरी कुछ चाँदी-सोने की
रूपहली जादू- टोने की

हटरी नई साल हर लाते
दीवाली पर इसे सजाते

मिट्टी की हटरी बतियाती
अपने मन की बात सुनाती

आओ चलो घूम कर आएँ
धनतेरस पर हटरी लाएँ
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

211 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

सुकून..
सुकून..
हिमांशु Kulshrestha
पानी जैसा बनो रे मानव
पानी जैसा बनो रे मानव
Neelam Sharma
अपनी मंजिल की तलाश में ,
अपनी मंजिल की तलाश में ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
2685.*पूर्णिका*
2685.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मैं मतवाला मस्त फकीरा
मैं मतवाला मस्त फकीरा
लक्ष्मी सिंह
चिंतन...
चिंतन...
ओंकार मिश्र
संघर्ष के पथ साथ की आशा भटकाव बनेगी
संघर्ष के पथ साथ की आशा भटकाव बनेगी
पूर्वार्थ
प्रदूषण की छांव में दिल्ली
प्रदूषण की छांव में दिल्ली
Dr. AMIT KUMAR DIXIT
புறப்பாடு
புறப்பாடு
Shyam Sundar Subramanian
👍👍
👍👍
*प्रणय*
हमेशा आंखों के समुद्र ही बहाओगे
हमेशा आंखों के समुद्र ही बहाओगे
डॉ. दीपक बवेजा
Yaad
Yaad
Neeleshkumar Gupt
"शिक्षक"
Dr. Kishan tandon kranti
दर्द की धुन
दर्द की धुन
Sangeeta Beniwal
तुम्हें लगता है, मैं धोखेबाज हूँ ।
तुम्हें लगता है, मैं धोखेबाज हूँ ।
Dr. Man Mohan Krishna
खिलेंगे फूल राहों में
खिलेंगे फूल राहों में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
चर्चा बा राजधानी में
चर्चा बा राजधानी में
Shekhar Chandra Mitra
आपके स्वभाव की सहजता
आपके स्वभाव की सहजता
Dr fauzia Naseem shad
नयन कुंज में स्वप्न का,
नयन कुंज में स्वप्न का,
sushil sarna
हुए प्रकाशित हम बाहर से,
हुए प्रकाशित हम बाहर से,
Sanjay ' शून्य'
करो पढ़ाई
करो पढ़ाई
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कभी हैं भगवा कभी तिरंगा देश का मान बढाया हैं
कभी हैं भगवा कभी तिरंगा देश का मान बढाया हैं
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
अब तो इस वुज़ूद से नफ़रत होने लगी मुझे।
अब तो इस वुज़ूद से नफ़रत होने लगी मुझे।
Phool gufran
ना वह हवा ना पानी है अब
ना वह हवा ना पानी है अब
VINOD CHAUHAN
अवसर
अवसर
संजय कुमार संजू
आओ बोलें
आओ बोलें
Arghyadeep Chakraborty
*जो मिले भाग्य से जीवन में, वरदान समझ कर स्वीकारो (राधेश्याम
*जो मिले भाग्य से जीवन में, वरदान समझ कर स्वीकारो (राधेश्याम
Ravi Prakash
दर्द
दर्द
ललकार भारद्वाज
- जनता है त्रस्त नेता है मस्त -
- जनता है त्रस्त नेता है मस्त -
bharat gehlot
*सबकी अपनी दुनिया*
*सबकी अपनी दुनिया*
Dr. Vaishali Verma
Loading...