*यह दुर्भाग्य गृहस्थी में प्रभु, कभी किसी के लाना मत (हिंदी
यह दुर्भाग्य गृहस्थी में प्रभु, कभी किसी के लाना मत (हिंदी गजल)
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1)
यह दुर्भाग्य गृहस्थी में प्रभु, कभी किसी के लाना मत
घर की ईंटों को आपस में, लड़ते कभी दिखाना मत
2)
टूटी-फूटी भी नौकाऍं, पार नदी कर जाऍंगी
दो पतवारों को आपस में, लेकिन कभी लड़ाना मत
3)
बच्चों के भविष्य की सोचो, उन पर क्या-क्या बीतेगी
कभी अदालत में तलाक का, दरवाजा खटकाना मत
4)
बर्बादी का समय समझ लो, सबसे बड़ा वही होगा
शयनकक्ष को दो टुकड़ों में, हरगिज भी बॅंटवाना मत
5)
हर सवाल का हल होता है, थोड़ा पीछे हटने में
पत्नी-पति को अड़ियल बनना, प्रभु जी कभी सिखाना मत
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451