यह तो नहीं ज़िन्दगी!
यह तो नहीं जिन्दगी !
बोझिल सांसे
हर धडकन पर बेबसी
यह तो नहीं जिन्दगी !
दलदल में
रेंगती पेट के बल
घुंट-घुंट के
जीने को छ्ट्पटाती हर पल
डरावनी चुप्पी
छाई रही मरघट सी
यह तो नहीं जिन्दगी !
कब्र से
सिर उठाती लालसायें
मृत्यु से पहले
लग गयीं कौओं की सभायें
उम्र भर सुलगी
होठों की हँसी
यह तो नहीं जिन्दगी !
… अवधेश सिन्हा