यह तस्वीर पहले खामोश थी
यह तस्वीर
पहले खामोश थी
अब मुझसे बातें करती है
कई शहर पहले
इसके भीतर
सो रहे थे
अब जग गये हैं
मुझे लेकर
साथ साथ
जीवन के टेढ़े मेढ़े रास्तों पर
जैसे चल रहे हैं
मैं चारों तरफ फैली
सुंदरता को नहीं
निहार रही
बस तुझे तलाश रही हूं
हर जगह
हर कोने में
हर रास्ते
हर मंजिल में
हर घर
हर मंदिर में
एक बेजान सी तस्वीर में
एक जीती जागती तदबीर की
जमीर की जागीर में
न जाने
तकदीर में मेरी क्या लिखा है
मिलना या बिछड़ना
या बस इस सड़क के
किसी मोड़ की तरह
मेरा भी इस दुनिया से
मुंह मोड़ना
हमेशा के लिए
यह दुनिया छोड़ना
तुझसे फिर हमेशा के लिए
कभी न बिछड़ते हुए
मिलने के लिए।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001