यह जीवन ….
यह जीवन ….
इतनी भी आसान नहीं है….
यहां तो भगवान को भी
हर दुख दर्द से गुजरना पड़ता हैं !
चाहे राम कहो या श्याम
शिव कहो या शंकर…..
जीवन पर्यन्त ही बस
कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है !
श्रीराम को भगवान होकर भी
छोड़ा अपने परिवार को…..
जीवन वनवास में सिता संग
उन्हें जंगल जंगल भटकना पड़ता है !
क्या कोई समझ पाएगा
राम की मर्यादा की पीड़ा कभी……
पितृ सुख भूलकर प्राणों से प्यारी
सीता को खुद वनवास भेजना पड़ता है !
कृष्ण से भगवान श्री कृष्ण
बनना भी कहां आसान है यहां……
प्रेम के आंसुओं को पीकर
दुनिया का हर फर्ज निभाना पड़ता है !
मिलना बिछुड़ना रीत है जीवन की
इंसान क्या और भगवान क्या…..
भोले शंकर की खातिर सती को भी
तो यहां दूसरा जन्म लेकर आना पड़ता है !
बस इतना समझ ले ए “बन्दे”
दुख सुख मिलना बिछड़ना तो रीत है जीवन की…..
और अपने इस जीवन में हमको भी
अपने दुख दर्द को “राही” खुद ही सहना पड़ता है !
अनिल “आदर्श”