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20 Jul 2021 · 5 min read

यह जिम्मेदारी हम मिलकर बांट लेंगे

हर कामकाजी महिला को घर और ऑफिस दोनों जिम्मेदारी उठानी पड़ती है जो आसान काम नहीं है एक पुरुष सिर्फ अपना ऑफिस का काम कर कर ही थक जाता है वही एक कामकाजी औरत यह दोनों ही जिम्मेदारी को बखूबी निभाती है
तभी तो वह सुपर वूमेन कहलाती है तभी तो नारी नारी शक्ति होती है
इस कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में हर किसी को घर से ही काम करना पड़ रहा था ऐसे ही मुदिता और मयंक भी दोनों अपने ऑफिस का काम घर से ही कर रहे थे
कोरोना के कारण घर के सारे काम खुद ही करने पड़ रहे थे क्योंकि काम वाली बाई की भी छुट्टी कर रखी थी मुदिता घर और ऑफिस के काम को अच्छे से संभाल रही थी
बस टेंशन सिर्फ उस दिन होती थी जिस दिन मुदिता की ऑफिस की मीटिंग होती थी आज भी मुदिता की सुबह 12:30 बजे मीटिंग
मुदिता को टेंशन हो रही थी कि कल उसकी मीटिंग है कैसे सब काम होगा
मुदिता सुबह हर रोज की तरह आज भी सा 6:30 बजे से पहले ही उठ गई उसने उठते ही किचन में जाकर अपने लिए चाय बनाई जितने समय में उसकी चाय बनती उसने अपने नाश्ते के लिए तैयारी करके रख दी
जैसे ही चाय बन गई वह चाय का कप लेकर बाहर सोफे पर बैठी उसी समय 10 मिनट के लिए अखबार भी देख लिया करती थी
बस एक वह समय था जो वह सुकून से 10 मिनट बैठती थी उसके बाद तो उसे खुद के लिए टाइम ही नहीं मिलता था
जैसे ही उसकी चाय खत्म हुई वह फटाफट से अपनी बाकी की काम करने लगी
फटाफट से उसने नाश्ता बनाया और खाने की तैयारी की क्योंकि फिर उसे अपने बच्चों को ऑनलाइन क्लास भी कराने होती थी
वह अपना काम जल्दी जल्दी निपटाती थोड़ा समय बच्चों को देखकर अपना ऑफिस का काम भी करती थी
यह सब काम में उसके 8:30 बज गए थे का नाश्ता खाना बाकी का काम सब हो चुका था बस उसने अपने दोनों बच्चों को प्यार से उठाया मुदिता को 8 साल की एक प्यारी सी बेटी अवनी 4 साल का बेटा रूद्र
मुदिता ने उन्हें बड़े लाड प्यार से उठाया और उठाकर उन्हें रूम से बाहर ले आई उन्हें जल्दी से रेडी होने के लिए कहा जैसे ही बच्चे रेडी हुए उन्हें नाश्ता कराया क्योंकि फिर दोनों की क्लास आने वाली थी रुद्र की तो सिर्फ आधा घंटा ही क्लास चलती बाकी 12:00 बजे तक अवनी की
उसी बीच मयंक भी उठ गए वह भी थोड़ी देर अपने बच्चों से मिलकर अपने बाकी के काम करके अपना नाश्ता किया और फिर वह अपना लैपटॉप लेकर अपने रूम में ऑफिस का काम करने के लिए बैठ गया
मुदिता के बच्चों की क्लास स्टार्ट हो गई थी उसने अपने बच्चों को ऑनलाइन क्लास दिलाई जैसे ही 12:00 बजे उनकी क्लास खत्म हो गई तो मुदिता ने बच्चों से पहले ही कह दिया कि 12:30 बजे आज मेरी ऑफिस की मीटिंग है तो तुम मुझसे डिस्टर्ब मत करना तुम अपने खिलौने से खेल लेना आज झगड़ा मत करना मुझे बिल्कुल भी आवाज नहीं आनी चाहिए दोनों अच्छे से रहना मम्मा को बिल्कुल भी डिस्टर्ब नहीं करना बच्चों ने ओके ओके मम्मा कहां आप अपना ऑफिस का काम करो हम आपको परेशान नहीं करेंगे मुदिता अपने बच्चों को एक प्यारी सी स्माइल करके अपना लैपटॉप लेकर सोफे पर बाहर बैठ गई
बच्चे अपने रूम में अब खेल रहे थे और मुदिता अपने ऑफिस की मीटिंग में बिजी हो गई मुश्किल से आधा घंटा ही हुआ होगा कि दोनों बच्चे लड़ते हुए मुदिता के पास आ गए कभी तो अवनी मुदिता का हाथ पकड़ कर खींच रही थी तो रूद्र जोर जोर से चिल्ला रहा था
मुदिता ने उन्हें कहां अभी मुझे डिस्टर्ब मत करो मैं अभी मीटिंग में हूं पर बच्चे जोर जोर से चिल्ला रहे थे रूद्र रो रहा था
मुदिता ने कहा थोड़ी देर और बस में फ्री हो जाऊं पर बच्चे मम्मी को परेशान करने लगे
मुदिता बहुत डिस्टर्ब हो रही थी तो उसे गुस्सा आ गया उसने बच्चों पर चिल्ला दिया और कहा क्या हुआ तुम दोनों को
अवनी ने कहा कि रुद्र ने मेरी बुक फाड़ दी और मैंने रुद्र को चांटा लगा दिया
बस मुदिता का भी गुस्सा और बढ़ गया उसने दोनों को गाल पर चांटा लगा दिया
जैसे तैसे उसका मीटिंग टाइम खत्म हुआ तो मुदिता ने मयंक को आवाज लगाई

मयंक अपने रूम से बाहर आया बोला क्या हुआ
मुदिता ने कहा क्या तुम थोड़ी देर बच्चों को नहीं देख सकते थे मैं कितना परेशान हो गई तुम्हें पता था आज मेरी मीटिंग थी फिर भी
मैं कभी भी तुम्हें ऐसा नहीं कहती पर आज मेरी मीटिंग थी तो मैं डिस्टर्ब हो रही थी बाकी की काम वाले दिन तो मैं सब मैनेज कर लेती हूं
मयंक ने कहा मैं अपना काम कर रहा था मैंने ध्यान नहीं दिया बीच में ही बात काटते हुए मुदिता ने कहा तुम काम कर रहे थे तो मैं भी काम कर रही थी पर मेरी आज मीटिंग थी थोड़ी देर देख लेते
तुम्हें पता है मैं घर ऑफिस बच्चा उनका हर काम संभाल लेती हूं पर जब मेरी मीटिंग थी तो थोड़ी देर तुम अपना काम छोड़ देते और बच्चों को देख लेते हैं
मयंक ने मुदिता को सॉरी बोला और एक पानी का ग्लास लाकर मुदिता के हाथों में थमाया और कहा कि तुम पहले पानी पियो और शांत हो
मुदिता का गुस्सा थोड़ा शांत हुआ अभी भी चिल्ला रहे थे मुझे दोनों ने मिलकर बच्चों को संभाला उन्हें शांत किया
मुदिता ने बच्चों को प्यार से कहा मैंने तुम्हें कहा था पहले ही कि आज मेरी मीटिंग है तो तुम मुझे बिल्कुल भी परेशान मत करना देखो अब तुमने मुझे कितना परेशान कर दिया मैं कितना डिस्टर्ब हो गई हूं अब मुझे ऑफिस से डांट पड़ेगी क्या बच्चों तुम मुझे डांट खाते देख लोगे
अग्नि और रुद्र दोनों ने मम्मा को सॉरी बोला और कहा नहीं मा मम्मा दोबारा नहीं करेंगे
मुदिता नहीं दोनों बच्चों को गले से लगा लिया और कहां सॉरी मैंने तुम्हें चांटा लगाया
मयंक यह सब देख रहा था और अच्छी सी स्माइल करते हुए मन ही मन अपनी मुदिता पर गर्व महसूस कर रहा था कि मुदिता कितनी अच्छी एक पत्नी एक मां एक सुपर वुमन जो हर काम इतने अच्छे से संभाल लेती है
खुद पर गर्व महसूस कर रहा था तभी मुदिता ने मयंक से कहा तुम क्यों खड़े-खड़े मुस्कुरा रहे हो मैंने कहा कुछ नहीं बस यूं ही और कहा कि तुम यह सब कैसे कर लेती हो कहां से लाती हो इतनी पावर
मुदिता ने भी प्यार से छोड़ते हुए कहा तुम ही तो हो मेरी ताकत
मयंक नहीं मुदिता को सॉरी कहा और कहां आगे से मैं ध्यान रखूंगा और हर जिम्मेदारी हम मिलकर दोनों बांट लेंगे
मुदिता ने कहा बातें ही बनाते रहोगे चलो मैं खाना बनाती हूं मिलकर खाना खाते हैं मयंक ने कहा चलो आज मैं तुम्हारी मदद कर आता हूं
मुदिता ने कहा नहीं बस तुम बच्चों के साथ चैट हो मैं बस फटाफट से बनाकर लाती हूं मिलकर खाना खाते हैं

एक अच्छी समझदार औरत अपने परिवार को बखूबी निभाती है हर जिम्मेदारी को बखूबी पूरा करती है और घर में फिर खुशियां और प्यार की खुशबू महकती है और अगर घर का हर सदस्य अपने हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाए हर काम को मिलकर कर ले तो किसी पर कोई बोझ ही ना पड़े हर किसी के पास थोड़ा समय खुद के लिए भी होना चाहिए।

नीतू गुप्ता

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