यह ज़मीं है सबका बसेरा
यह ज़मीं है सबका बसेरा, सबको इस पर बसने दो।
किसी एक का नहीं आसमान, सबको उड़ान भरने दो।
यह ज़मीं है सबका बसेरा—————।।
क्यों किसी का हक छीने, क्यों निवाला किसी का छीने।
शौक किसी का हम क्यों रोके, सबको जश्न मनाने दो।।यह ज़मीं है सबका बसेरा————–।।
किसी बस्ती को ना उजाड़े, किसी मुफ़लिस को ना लूटे।
काँटें क्यों राह में हम बिछाये, सबको ख्वाब सजाने दो।।
यह ज़मीं है सबका बसेरा—————-।।
जुल्म किसी पर नहीं करें, नहीं अपमान किसी का करें।
चमन सबको हम महकाने दे, सबको चिराग जलाने दो।
यह ज़मीं है सबका बसेरा—————।।
यहाँ सभी हम मिलकर रहे, नहीं आपस में हम लड़े।
नहीं फैलाये नफरत की हम हवा, प्यार की गंगा बहने दो।।
यह ज़मीं है सबका बसेरा—————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)