यह जग खुश हो तो
यह जग
खुश हो तो
मैं भी सीख लूं
उसके साथ खुश होना तो
बेहतर है
जीवन अकेले नहीं
सबको साथ लेकर ही
कटता है
यह हुनर मैं सीख लूं
छोटी छोटी बातों पर
मुस्कुराना नहीं सीखा तो
जिंदगी रोते रोते ही कट जायेगी
एक लंबी रात होगी
एक मुरझाये चांद सी
एक उगती हुई सुनहरी धूप की रंगत
बिखेरती सुबह मेरे दरवाजे पर
कभी दस्तक देने न आयेगी।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001