यह कौन सा शौक
यह कौन सा शौक तुमने पाल रखा है
इस जनता को यूं ही उबाल रखा है ,
ना हार तय है , ना जीत है फिर भी,
बिना मतलब सिक्का उछाल रखा है||
कवि दीपक सरल
यह कौन सा शौक तुमने पाल रखा है
इस जनता को यूं ही उबाल रखा है ,
ना हार तय है , ना जीत है फिर भी,
बिना मतलब सिक्का उछाल रखा है||
कवि दीपक सरल