यह कैसा आया बसंत ? ( स्वर साम्राज्ञी लता की याद में..)
यह कैसा आया बसंत धरती पर ,
की बहार ही चली गई ।
मां शारदे की पुत्री लता ,
मधुर संगीत का संसार ,
छोड़ कर चली गई ।
विश्वास नहीं हो रहा दिल को ,
यह विडंबना कैसे हुई ?
अब तक जो थी शामिल ,
हर देशवासी के दुख सुख में ,
अब अपने वियोग में रूला कर चली गई।
जो कही जाती थी भारत की बेटी ,
अपने बाबुल को गमों के सागर में डूबो कर चली गई ।
और वोह रोए क्यों न फूट फूट कर ,
उसकी अमूल्य निधि खो गई ।