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28 Jul 2024 · 1 min read

यह कलियुग है यहां हम जो भी करते हैं

यह कलियुग है यहां हम जो भी करते हैं
उसका उल्टा ही हमें प्राप्त होता है
लोग कितने भी अच्छे हों जैसे वो होते हैं
दूसरों को अपने जैसा ही समझते हैं
जो अच्छे हैं उन्हें सब अच्छा ही लगता है
इस अच्छे बुरे के खेल में क्यों उलझना है
भीड़ का हिस्सा हमें तो नहीं बनना है
अकेले हैं अच्छे भले हैं फिर क्यों खुद को खोना है
_ सोनम पुनीत दुबे

6 Likes · 1 Comment · 57 Views
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