Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jul 2024 · 1 min read

यह कलियुग है यहां हम जो भी करते हैं

यह कलियुग है यहां हम जो भी करते हैं
उसका उल्टा ही हमें प्राप्त होता है
लोग कितने भी अच्छे हों जैसे वो होते हैं
दूसरों को अपने जैसा ही समझते हैं
जो अच्छे हैं उन्हें सब अच्छा ही लगता है
इस अच्छे बुरे के खेल में क्यों उलझना है
भीड़ का हिस्सा हमें तो नहीं बनना है
अकेले हैं अच्छे भले हैं फिर क्यों खुद को खोना है
_ सोनम पुनीत दुबे

6 Likes · 1 Comment · 169 Views
Books from Sonam Puneet Dubey
View all

You may also like these posts

Dr arun kumar शास्त्री
Dr arun kumar शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कुछ हल्का हो लें
कुछ हल्का हो लें
Jyoti Roshni
सूरज!
सूरज!
Ghanshyam Poddar
ज़रूरी है...!!!!
ज़रूरी है...!!!!
Jyoti Khari
आज के युग में कल की बात
आज के युग में कल की बात
Rituraj shivem verma
हो गये हम जी आज़ाद अब तो
हो गये हम जी आज़ाद अब तो
gurudeenverma198
जो गुज़रती नहीं कभी दिल से,
जो गुज़रती नहीं कभी दिल से,
Dr fauzia Naseem shad
"बस्तर शिल्प कला"
Dr. Kishan tandon kranti
होली
होली
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
स्तंभ बिन संविधान
स्तंभ बिन संविधान
Mahender Singh
” अनोखा रिश्ता “
” अनोखा रिश्ता “
ज्योति
सुनो पहाड़ की.....!!!! (भाग - ६)
सुनो पहाड़ की.....!!!! (भाग - ६)
Kanchan Khanna
मधुर मिलन
मधुर मिलन
Seema gupta,Alwar
सच तो आज कुछ भी नहीं हैं।
सच तो आज कुछ भी नहीं हैं।
Neeraj Agarwal
डॉ. कुँअर बेचैन : कुछ यादें
डॉ. कुँअर बेचैन : कुछ यादें
Ravi Prakash
उकसा रहे हो
उकसा रहे हो
विनोद सिल्ला
विज्ञान और मानव
विज्ञान और मानव
राकेश पाठक कठारा
आजाद लब
आजाद लब
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
लगाव
लगाव
Arvina
हाय वो बचपन कहाँ खो गया
हाय वो बचपन कहाँ खो गया
VINOD CHAUHAN
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जिसे रिश्तों की परवाह नहीं वो,,
जिसे रिश्तों की परवाह नहीं वो,,
पूर्वार्थ
खुले आम जो देश को लूटते हैं।
खुले आम जो देश को लूटते हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
अंसार एटवी
कभी भ्रम में मत जाना।
कभी भ्रम में मत जाना।
surenderpal vaidya
🌺फूल की संवेदना🌻
🌺फूल की संवेदना🌻
Dr. Vaishali Verma
4205💐 *पूर्णिका* 💐
4205💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कर्मों के परिणाम से,
कर्मों के परिणाम से,
sushil sarna
बुंदेली दोहा-गर्राट
बुंदेली दोहा-गर्राट
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जैसे बहाव नदी का
जैसे बहाव नदी का
*प्रणय*
Loading...