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24 Jul 2021 · 1 min read

यह आसमान की जमीन भी

आसमान तक
पहुंचकर
मुझे उसके बादलों संग
उड़ना नहीं बल्कि
उसकी एक अदृश्य
आंखों से ओझल
बादलों के पीछे
जमीन को ढूंढकर
उसपर चलना है
कितना रोती होगी ना
यह आसमान की जमीन भी कि
अपना खुद का अस्तित्व होते हुए भी
कोई उसे पहचानता नहीं।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
1 Like · 338 Views
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